आनंद का एक नृत्य, क्यूनिलिंगस का परमानंद। पति, अपनी कला का स्वामी, अपनी पत्नी के अंतरंग परिदृश्य के हर इंच का पता लगाने के लिए अपना समय लेता है, उसकी जीभ उसके शरीर में उत्साह की लहरें भेजती है। उसकी कराहें, उसके कौशल का एक वसीयतनामा, कमरे में गूंजती गूंज, एक मधुर धुन जो केवल उसकी इच्छा को पूरा करने के लिए कार्य करती है। इस इच्छा के नृत्य में इच्छुक भागीदार, इच्छा में छटपटाहट, खुशी में छटपटाना, उसकी उंगलियां उसके बालों में उलझी हुई, एक मूक याचिका। यह एक ऐसी दुनिया है जहां आनंद की कोई सीमा नहीं होती है, एक ऐसी जगह जहां हर कराह, हर हांफ, हर सिहरन मनाई जाती है। यह एक नृत्य है जो उन दोनों को बिताया और तृप्त कर देता है, उनके शरीर अंगों और इच्छा की उलझन में उलझ जाते हैं। यह एक ऐसी विश्व है जहां आनंद सर्वोच्च शासन करता है, एक दुनिया जहां हर पल इच्छा की शक्ति का वसीयतनामा है।.