एक आदमी एक अंतरंग पल में अपनी प्रेमिका पर ठोकर खाता है, आत्म-खुशी में लिप्त होता है। उसकी उंगलियां उसके नम सिलवटों पर नाचती हैं, अपने स्पर्श के परमानंद में खो जाती हैं। उत्तेजना की ऐसी स्थिति में उसे देखना उसके लिए बहुत अधिक है विरोध करने के लिए, और वह जल्दी से अपने कपड़े उतारता है, मस्ती में शामिल होने के लिए उत्सुक है। उसका धड़कता हुआ सदस्य उसकी गीली सिलवटें, उनके शरीर एक दूसरे की इच्छाओं का पता लगाते हुए एकदम सही लय में चलते हैं। कमरा उनके भावुक प्रेम-प्रसंग की आवाजों से भर जाता है, उनकी कराहें दीवारों से गूंजती हैं। उनकी केमिस्ट्री निर्विवाद है, उनकी वासना उन दोनों को खा जाती है। वे पल की गर्मी में खो जाते हैं, उनके शरीर पुराने समय के रूप में एक नृत्य में आपस में जुड़ जाते हैं। यह सिर्फ सेक्स नहीं है, उनका वसीयतना, एक ऐसा क्षण है जो उनकी यादों में हमेशा के लिए उनकी यादों में बस जाएगा।.