देर रात को, जब दुनिया सोती है और केवल पानी ही शॉवर से आती है, तो एक आदमी खुद को आनंद की अपनी दुनिया में खोता हुआ पाता है। सुनहरे स्नान की उसकी इच्छा अतृप्त है, और वह अपने शरीर पर गर्म पानी के ढक्कन की सनसनी में लिप्त होता है, अपनी हिचकिचाहट और इच्छाओं को दूर करता है। जैसे-जैसे पानी उसके पैरों के पंजों से टकराता है, संवेदना उसके शरीर में खुशी की लहरें भरती जाती है। उसकी इच्छाओं की अंतिम रिहाई की आवश्यकता मजबूत होती जाती है, और वो मूतने की लालसा के आगे आत्मसमर्पण कर देता है। अपने स्वयं के मूत्र, गर्म और आमंत्रित करने की दृष्टि उसे संतुष्टि और राहत की भावना से भर देती है। उसके साथी, सुनहरे बालों और चीनी मिट्टी के चमड़ी वाली दो उत्तम दर्जे बच्चे, इस असामान्य बुत की खोज में उसके साथ जुड़ जाते हैं। उनका साझा आनंद उच्च परिभाषा में कैद है, जिसमें कोई अनदेखी नहीं है। यह बेलगामी आनंद की एक रात है, जहां आनंद की सीमाएं बंधी हुई हैं, जहां जुनून की सीमाएं खींची जाती हैं।.