करास की अतृप्त इच्छा उसके मीठे अमृत की हर बूंद का स्वाद चखने के लिए गहरे गोता लगाने के लिए हर इंच की लालसा को संतुष्ट करती है। जब वह उसमें प्रवेश करता है, तो उसका लंड प्रत्याशा से धड़कता है, उसकी मर्दानगी को समेटे हुए उसके गंदे सिलवटों को देखकर आनंद की सिम्फनी कमरे में गूंजती है, जो केवल उसकी इच्छा को भड़काती है। करस का शरीर प्रत्येक धक्के के साथ अभिविन्यास करता है, उसकी कराहें उसके हर धक्के को और जोर से बढ़ाती हैं। उसकी फैलती हुई चूत का नजारा, उसके स्पर्श से टपकते हुए, उनकी भावुक मुठभेड़ का एक वसीयतना है। गन्दे बाद का दृश्य उनके तीव्र संभोग की याद दिलाता है। करास की संतुष्टि तब प्रकट होती है जब वह अपने शरीर को उनकी तीव्रता से भरने की अनुभूति में भर जाती है, तब भी उनके संबंध की तीव्रता से उनके संबंध से गूंजने लगती है।.